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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2632
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।

अथवा
'आयुर्वेद' का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके प्राचीन आचार्यों एवं उनके ग्रन्थों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

आयुः+वेद = आयुर्वेद, ऋग्वेद के एक उपवेद के रूप में जाना जाता है। विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। 'आयुर्वेद' नाम का अर्थ है, 'जीवन से सम्बन्धित ज्ञान। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।

हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥

(चरक संहिता 1/40)

आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन दोषों (त्रिदोष वात, पित्त, कफ) के असन्तुलन को रोग का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य। आयुर्वेद को त्रिस्कन्ध (तीन कन्धों वाला) भी कहा जाता है, ये तीन स्कन्ध हैं - हेतु, लिंग और औषध। इसी प्रकार सम्पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा के आठ अंग माने गये हैं - कार्यचिकित्सा, शल्यतन्त्र, शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र भूत विद्या, रसायनतन्त्र और वाजीकरण।

विभिन्न संहिताओं, ऐतिहासिक ग्रन्थों, संस्कृत के ग्रन्थों में आयुर्वेदिक परम्परा या वैदिक ऋषि परम्परा द्वारा आयुर्वेद की उत्पत्ति का विवरण उपलब्ध है, जिसके अनुसार आयुर्वेद के सबसे पहले उपदेशक ब्रह्मा थे, वहाँ से आयुर्वेद की परम्परा का आरम्भ हुआ। ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम आयुर्वेद का ज्ञान दक्ष प्रजापति को दिया। दक्ष प्रजापति से ये ज्ञान अश्विनी कुमार को मिला। अश्विनी कुमारों से यह ज्ञान देवराज इन्द्र ने लिया। इन्द्र ने आयुर्वेद का ज्ञान ऋषि भारद्वाज को दिया। भारद्वाज ने ऋषि परिषदकरी को और परिषदकरी ने अत्रि मुनि को दिया। अश्रि ने इस आयुर्वेद की परम्परा को अपने शिष्य व पुत्र आत्रेय को ज्ञान दिया। आत्रेय ने आयुर्वेद के ज्ञान से आगे छः शिष्यों को तैयार किया, उनमें से एक अग्निवेश थे। उसके बाद अग्निवेश के पारगामी बुद्धि रचित तंत्र की रचना हुई। अग्निवेश के तंत्र के बाद एक ऋषि आये जिन्हें हम चरक कहते हैं। चरक पारगामी बुद्धि के ऋषि थे, उन्होंने अग्निवेश तंत्र का परिमार्जन, पुनर्गठन किया। उन्होंने देखा की अग्निवेश तंत्र में क्या दूषित हुआ है और उसके लिए क्या किया जा सकता है, उन्होंने एक बहुत बड़ी क्रान्ति रूपक बात आरम्भ करी और चरक संहिता की रचना की। वह सहिता इतनी ख्यात हुई कि चरक को भारतीय चिकित्सा का जनक (Father of Indian Medicine) कहा जाता है।

आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थ इस प्रकार हैं-

1. चरक संहिता - 'चरक संहिता आचार्य चरक प्रणीत आयुर्वेद के सिद्धान्त का पूर्ण ग्रन्थ है। यह एक विशाल ग्रन्थ है जिसमें आयुर्वेदिक चिकित्साशास्त्र के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। चरक संहिता संस्कृत भाषा में है, इसके आठ (8) भाग हैं, 120 अध्याय हैं। 'चरक संहिता' में व्याधियों के उपचार तो बताए ही गए हैं, प्रसंगवश स्थान-स्थान पर दर्शन और अर्थशास्त्र के विषयों के भी उल्लेख है।

आचार्य चरक की शिक्षा तक्षशिला में हुयी थी। वे आयुर्वेद के ख्यातिप्राप्त विद्वान थे। चरक ने भ्रमण करके चिकित्सकों के साथ बैठकें की, विचार एकत्र किए और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया।

2. सुश्रुत संहिता - शल्य चिकित्सा (Surgery) के पितामह और 'सुश्रुत संहिता' के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में काशी में हुआ था। इन्होने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की। सुश्रुत संहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है। सुश्रुत ने काशीपति दिवोदास से शल्य तंत्र का उपेदश प्राप्त किया था। इस ग्रन्थ में सर्जरी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को विस्तार से बताया गया है। इस किताब के अनुसार सुश्रुत शल्य चिकित्सा के लिए 125 से अधिक स्वनिर्मित उपकरणों का उपयोग किया करते थे। जो चाकू, सुईयाँ, चिमटियाँ आदि की ही तरह थे जो इनके स्वयं के द्वारा खोजे गये थे। आपरेशन के 300 से अधिक तरीके व प्रक्रियाएँ ग्रन्थ में वर्णित है। कास्मेटिक सर्जरी, नेत्र चिकित्सा में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने में आचार्य सुश्रुत दक्ष थे। टूटी हड्डी का पता लगाकर जोडना, ऑपरेशन द्वारा प्रसव करवाना, काय चिकित्सा, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग आदि के सुश्रुत सिद्ध-हस्त चिकित्सक थे।

आचार्य सुश्रुत ने अपनी रचना में आठ प्रकार की शल्यक्रिया के बारे में वर्णन दिया है - 1. देद्, 2. भेद्य, 3. लेख्य, 4. वेध्य, 5. ऐष्य, 6. आहार्य, 7. विश्रव्य 6. सीव्य।

सुश्रुत चिकित्सा ग्रन्थ में इन्होने 24 प्रकार के स्वास्तिकों, 2 प्रकार के सदसों, 28 प्रकार की शलाकाओं तथा 20 प्रकार की नाड़ियों का विशेष रूप से विस्तृत वर्णन किया है। इस प्रकार आचार्य सुश्रुत को विश्व का प्रथम शल्य चिकित्सक कहा जाता है।

3. अष्टाङ्गहृदयम् - 'अष्टाङ्गहृदयम्' आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके रचयिता आचार्य वाग्भट्ट हैं। इसका रचनाकाल 500 ई.पू. से 250 ई.पू. तक अनुमानित है। इस ग्रन्थ में औषधि और शल्यचिकित्सा दोनों का समावेश है। 'अष्टाङ्गहृदयम्' में आयुर्वेद के सम्पूर्ण विषय -कायचिकित्सा, शल्यचिकित्सा, शालक्य आदि आठों अंगो का वर्णन है। उन्होंने अपने ग्रन्थ के विषय में स्वयं ही कहा है कि. यह ग्रन्थ शरीर रूपी आयुर्वेद के हृदय के समान है। जैसे शरीर में हृदय की प्रधानता है उसी प्रकार आयुर्वेद जगत में इस ग्रन्थ की प्रधानता है। अपनी विशेषताओं के कारण यह ग्रन्थ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। 'अष्टाङ्गहृदयम्' में 6 खण्ड 120 अध्याय एवं कुल 7120 श्लोक हैं। अष्टाङ्गहृदयम् के छ खण्डों के नाम हैं -

1. सूत्रस्थान (30 अध्याय)
2. शरीरस्थान (6 अध्याय)
3. निदानस्थान (16 अध्याय)
4. चिकित्सास्थान (22 अध्याय)
5. कल्पस्थान (6 अध्याय)
6. उत्तरस्थान (40 अध्याय)

सूत्रस्थान में दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या द्रव्यगुण-विज्ञान का विस्तृत वर्णन है। शरीरस्थान, निदानस्थान, चिकित्सास्थान, कल्पस्थान तथा उत्तरस्थान में सम्पूर्ण रोगों का निदान (उपचार). लक्षणों, रोग के भेद, गर्भ एवं शरीर सम्बन्धित विषयों का विस्तृत वर्णन है। उर्ध जत्रुगत रोगों (सिर, आँख, नाक, कान के रोग) के कारण, लक्षण एवं चिकित्सा का व्यापक रूप से वर्णन दिया है।

इस प्रकार चिकित्सा के बृहदत्रयी (चरक संहिता + सुश्रुत संहिता + अष्टाङ्गहृदयम्) के रूप में प्रसिद्ध हैं। उक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त लघुत्रयी 1. भावमिश्र का भावप्रकाश' 2 माधवकर का 'माधव निदान, 3. शार्ङ्गधर का शार्ङ्गधर संहिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद में 'अष्टाङ्गसंग्रह', 'भेलसंहिता', 'कश्यपसंहिता', 'बंगसेन संहिता आदि ग्रन्थ विश्वविख्यात है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत का सभ्यता सम्बन्धी एक लम्बा इतिहास रहा है, इस सन्दर्भ में विज्ञान, गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।
  5. प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- 'योग' के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए, योग सम्बन्धी प्राचीन परिभाषाओं पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  8. प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संगीत के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक भारतीय दर्शनों के नाम लिखिये।
  11. प्रश्न- भारतीय षड् दर्शनों के नाम व उनके प्रवर्तक आचार्यों के नाम लिखिये।
  12. प्रश्न- मानचित्र कला के विकास में योगदान देने वाले प्राचीन भूगोलवेत्ताओं के नाम बताइये।
  13. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
  14. प्रश्न- ऋतुओं का सर्वप्रथम ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है?
  15. प्रश्न- पौराणिक युग में भारतीय विद्वान ने विश्व को सात द्वीपों में विभाजित किया था, जिनका वास्तविक स्थान क्या है?
  16. प्रश्न- न्यूटन से कई शताब्दी पूर्व किसने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त बताया?
  17. प्रश्न- प्राचीन भारतीय गणितज्ञ कौन हैं, जिसने रेखागणित सम्बन्धी सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया?
  18. प्रश्न- गणित के त्रिकोणमिति (Trigonometry) के सिद्धान्त सूत्र को प्रतिपादित करने वाले प्रथम गणितज्ञ का नाम बताइये।
  19. प्रश्न- 'गणित सार संग्रह' के लेखक कौन हैं?
  20. प्रश्न- 'गणित कौमुदी' तथा 'बीजगणित वातांश' ग्रन्थों के लेखक कौन हैं?
  21. प्रश्न- 'ज्योतिष के स्वरूप का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
  22. प्रश्न- वास्तुशास्त्र का ज्योतिष से क्या संबंध है?
  23. प्रश्न- त्रिस्कन्ध' किसे कहा जाता है?
  24. प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- क्रियायोग' किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- 'अष्टाङ्ग योग' क्या है? संक्षेप में बताइये।
  27. प्रश्न- 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  29. प्रश्न- आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों के नाम बताइये।
  30. प्रश्न- 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' का सामान्य परिचय दीजिए।
  31. प्रश्न- काव्य क्या है? अर्थात् काव्य की परिभाषा लिखिये।
  32. प्रश्न- काव्य का ऐतिहासिक परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
  34. प्रश्न- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? एवं संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थ और उनके रचनाकारों के नाम बताइये।
  35. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
  42. प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
  43. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
  44. प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  45. प्रश्न- आचार्य पाणिनि ने व्याकरण को किस प्रकार तथा क्यों व्यवस्थित किया?
  46. प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  47. प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  48. प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- श्री हर्ष की अलंकार छन्द योजना का निरूपण कर नैषधं विद्ध दोषधम् की समीक्षा कीजिए।
  50. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत का परिचय दीजिए।
  51. प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
  52. प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- महाकवि हर्ष का परिचय लिखिए।
  54. प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- 'भारवेर्थगौरवम्' की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- रामायण के रचयिता कौन थे तथा उन्होंने इसकी रचना क्यों की?
  57. प्रश्न- रामायण का मुख्य रस क्या है?
  58. प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- "रामायण एक आर्दश काव्य है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  60. प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
  61. प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
  62. प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
  63. प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
  65. प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  66. प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  67. प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  68. प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
  69. प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
  70. प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  71. प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
  72. प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
  73. प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  74. प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  75. प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
  80. प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  81. प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  85. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
  88. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  89. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
  92. प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
  93. प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
  94. प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
  95. प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
  97. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
  99. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
  100. प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
  101. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
  103. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
  105. प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
  109. प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
  110. प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
  111. प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
  112. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
  113. प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
  114. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  115. प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
  116. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  117. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।

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